बाद में फिर इसके कोई बात होना चाहिये।
और फिर असहाब व अहले बैत पर पढ़कर दुरूद
और फिर असहाब व अहले बैत पर पढ़कर दुरूद
अपने ईमां की हिफाज़त साथ होना चाहिये
मशगला यह जिन्दगी के साथ होना चाहिये
आम घर घर दीनी तालीमात होना चाहिये।
फर्ज है जिस तरह इल्मे दीन मर्दों के लिये
ऐसे ही तालीम मस्तूरात होना चाहिये।
दुनियावी तालीम भी है अब ज़रूरत दीन की
दीन की तालीम के यह साथ होना चाहिये।
हाथ से छूटे न हरगिज़ दामने अहमद रज़ा
और सर पे साया- ए-सादात होना चाहिये।
कोई भी मुश्किल सही फारूक हल हो जायेगी
आला हजरत की हिमायत साथ होना चाहिये
मशगला यह जिन्दगी के साथ होना चाहिये
आम घर घर दीनी तालीमात होना चाहिये।
फर्ज है जिस तरह इल्मे दीन मर्दों के लिये
ऐसे ही तालीम मस्तूरात होना चाहिये।
दुनियावी तालीम भी है अब ज़रूरत दीन की
दीन की तालीम के यह साथ होना चाहिये।
हाथ से छूटे न हरगिज़ दामने अहमद रज़ा
और सर पे साया- ए-सादात होना चाहिये।
कोई भी मुश्किल सही फारूक हल हो जायेगी
आला हजरत की हिमायत साथ होना चाहिये
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