है यार-ए-ग़ार महबूब-ए-ख़ुदा सिद्दीक़-ए-अकबर का
इलाही ! रहम फ़रमा ख़ादिम-ए-सिद्दीक़-ए-अकबर हूँ
तेरी रहमत के सदक़े, वास्ता सिद्दीक़-ए-अकबर का
रुसुल और अम्बिया के बा'द जो अफ़ज़ल हो 'आलम से
ये 'आलम में है किस का मर्तबा ? सिद्दीक़-ए-अकबर का
गदा सिद्दीक़-ए-अकबर का ख़ुदा से फ़ज़्ल पाता है
ख़ुदा के फ़ज़्ल से मैं हूँ गदा सिद्दीक़-ए-अकबर का
हुए फ़ारूक़-ओ-'उस्मान-ओ-'अली जब दाख़िल-ए-बै'अत
बना फ़ख़्र-ए-सलासिल सिलसिला सिद्दीक़-ए-अकबर का
नबी का और ख़ुदा का मद्ह-गो सिद्दीक़-ए-अकबर है
नबी सिद्दीक़-ए-अकबर का, ख़ुदा सिद्दीक़-ए-अकबर का
'अली हैं उस के दुश्मन और वो दुश्मन 'अली का है
जो दुश्मन 'अक़्ल का, दुश्मन हुआ सिद्दीक़-ए-अकबर का
लुटाया राह-ए-हक़ में घर कई बार इस मोहब्बत से
कि लुट लुट कर, हसन ! घर बन गया सिद्दीक़-ए-अकबर का
कि लुट लुट कर, हसन ! घर बन गया सिद्दीक़-ए-अकबर का
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