भगवा की नहीं परवाह, अल्लाह से डरती हूँ
अल्लाहु अकबर ! अल्लाहु अकबर !
अल्लाहु अकबर ! अल्लाहु अकबर !
तुम लाख डराओगे मुझ को, बे-ख़ौफ़ मैं होती जाऊँगी
आँखों में डाल के मैं आँखें हर बातिल से टकराऊँगी
मैं उम्म-ए-वहब की बेटी हूँ, ज़ैनब की शुजा'अत है मुझ में
दुनिया के सभी कुफ़्फ़ार सुनें ख़ौला की भी हिम्मत है मुझ में
मैं क़ौम की बेटी हूँ, मैं पर्दा करती हूँ
भगवा की नहीं परवाह, अल्लाह से डरती हूँ
अल्लाहु अकबर ! अल्लाहु अकबर !
अल्लाहु अकबर ! अल्लाहु अकबर !
अल्लाह की इता'अत पर्दा है, सरकार की चाहत पर्दा है
ईमाँ की हलावत पर्दा है, बे-शर्मी से नफ़रत पर्दा है
'इज़्ज़त की हिफ़ाज़त पर्दा है, 'औरत की शराफ़त पर्दा है
इस्लाम से उल्फ़त पर्दा है, ज़हरा की हिदायत पर्दा है
मैं क़ौम की बेटी हूँ, मैं पर्दा करती हूँ
भगवा की नहीं परवाह, अल्लाह से डरती हूँ
अल्लाहु अकबर ! अल्लाहु अकबर !
अल्लाहु अकबर ! अल्लाहु अकबर !
मैं जान तो अपनी दे दूँगी, छोड़ूँगी न हरगिज़ मैं पर्दा
शैतान के जो चेले हैं उन्हें कर के ही रहूँगी मैं रुस्वा
इस्लाम ही सब से अफ़ज़ल है ये सारे जहाँ को बता दूँगी
तकबीर के ना'रे से, 'आसिम ! दुनिया में हलचल मचा दूँगी
मैं क़ौम की बेटी हूँ, मैं पर्दा करती हूँ
भगवा की नहीं परवाह, अल्लाह से डरती हूँ
अल्लाहु अकबर ! अल्लाहु अकबर !
अल्लाहु अकबर ! अल्लाहु अकबर !
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