इस्लामी सवालात हिंदी में।
अस्सलामु अलैकुम दोस्तों आज हम आप के सामने बहुत ही एहम इस्लामी सवालात के मसले लेकर आप के सामने हाज़िर हुए है उम्मीद करते है के ये इस्लामी सवाल आप के लिए बहुत फायदे मंद होंगे।
इस्लामी सवालात :
क्या हालते ह़मल मे त़लाक़ नही होती?
नात ख़्वां शायरों पर पैसा लुटाना कैसा?
फरिश्तों को जासूस कहना कैसा?
क्या दफन के बाद नमाज़े जनाज़ा पढ़ सकते हैं?
लड़का पैदा होने का वजीफा़??
सवाल मेरे दोस्त की 4 औलादें हैं मगर 4.रों लडकियां ही हैं अगर लड़का के लिए कोई वज़ीफा हो तो बरा ए महरबानी ज़रुर बताऐं,
(कलीम खान दुबई)
जवाब लड़कियां होना बाइसे रह़मत व बरकत है अल्लाह उनके सदक़े में बहुत सी मुसीबत, बलायें परेशानी माँ बाप के उपर से टाल देता है बल्के उनका रिज़्क़ भी बहुत कुशादा कर देता है, खैर आपका जवाब हाज़िर है इमामुल अइम्मा सय्यिदुना इमामे आज़म रज़िअल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि जो ये चाहता है के उसके यहाँ लड़का हो तो औरत के पेट पर उंगली रख कर ऐ कहे कि अगर लड़का है तो मैंने उसका नाम मुहम्मद रखा इंशाअल्लाह लड़का ही होगा फिर अगर लड़का ही हो तो उसका वही नाम रखे
📚 अहकामें शरीअत हिस्सा 01 सफह नः 83
क्या हालते ह़मल मे त़लाक़ नही होती?
सवाल एक सवाल ये है के एक शख्स ने अपनी बीवी को ह़मल में तलाक़ दे दी और वो कहता है के ह़मल में तलाक़ नहीं होती है क्या ये सही है,और तलाक़ पड़ गई या नहीं जवाब इनायत करें महरबानी होगी
जवाब ह़मल के दौरान में अगर किसी ने तलाक़ दी तो भी तलाक़ हो जायेगी जैसा के हुज़ूर आला हज़रत इमाम अह़मद रज़ा ख़ान फाज़िले बरेलवी अलैहिर्रह़मतु वर्रिज़वान तह़रीर फरमाते हैं कि ह़मल में तलाक़ न दी जाए अगर देगा हो जायेगी इद्दत बच्चा पैदा होना होगा
📚अह़कामे शरीयत जिल्द 02 सफह नः {185}
ख़ुलासा ये है के उस शख्स का कहना के ह़मल में तलाक़ नहीं होती सरासर जिहालत है उसको मस्अला मालूम नहीं तलाक़ देने वाले को चाहिए के फौरन बीवी से अलग हो जाए
नात ख़्वां शायरों पर पैसा लुटाना कैसा?
सवाल आजकल जलसों दीनी मेह़फिलों में नात ख़्वां शायरों पर पैसा लुटाने का रिवाज है ये पैसा लुटाना कैसा है?
जवाब जलसों दीनी मह़फिलों वगैरह में नात ख्वानों और शायरों पर पैसा या नोटों को लुटाना या फेंकना जाइज़ नहीं बल्के उनके हाथ या गोद में रख़ दें जैसा कि इमामे अहले सुन्नत सय्यदी सरकार आलाह़ज़रत इमाम अह़मद रज़ा खान बरेलवी अलैहिर्रहमा तह़रीर फरमाते है कि पैसे फेंकना या हवा में उड़ाना मना है क्योंके पैसा रिज़्क़ है और रिज़्क़ की बे ह़ुरमती जाइज़ नहीं है इससे साबित हुआ के नात ख्वानों या शायरों या आलिमे दीन के सर या गोद में पैसे डालना जिसमें बे अदबी का पहलू न हो तो जाइज़ है
📚फतावा रज़वियह शरीफ़ जिल्द 24 सफ्ह नः 520
फरिश्तों को जासूस कहना कैसा?
सवाल मेरा एक सवाल है के फिरिश्तों को जासूस कहना कैसा है, और अगर कोई आलिम ऐसा कहे तो उसके लिए क्या हुक्म है?
जवाब फिरिश्तों को जासूस कहना तौहीन है फतावा शारेह़ बुख़ारी में है कि अम्बिया ए किराम को जासूस कहना कुफ्र है इसी तरह फिरिश्तों को गार्ड या टीटी कहना भी तौहीन है लिहाज़ा आलिम हो या गैरे आलिम फिरिश्तों की शान में ऐसा कहने की वजह से तौबा व अस्तग़फ़ार करे, और अगर कोई मुक़द्दस फरिश्तों की तौहीन की नियत से जासूस कहे तो कुफ्र है तजदीदे इमान व तजदीदे निकाह़ लाज़िम है
📚फ़तावा शारेह़ बुखारी जिल्द 01 सफ्ह नः 575
क्या दफन के बाद नमाज़े जनाज़ा पढ़ सकते हैं?
सवाल हमारे यहाँ एक बच्ची का इंतिक़ाल हो गया बगैर नमाज़े जनाज़ा पढ़े उसको दफ़न कर दिए तो क्या दफन के बाद नमाज़े जनाज़ा पढ़ सकते हैं जवाब इनायत करें?
जवाब जब तक लाश फट जाने का गुमान गालिब न हो उस वक़्त तक उसकी क़ब्र पर नमाज़ अदा करने का हुक्म है जैसा के हुज़ूर सदरुश्शरिअह तह़रीर फरमाते हैं के उमूमन अमवात की लाशें तीन दिन या दस दिन या कमो बेश में फट जाती हैं इसी वजह से अगर मय्यत बगैर नमाज़े जनाज़ा पढ़े दफन कर दी गई हो तो जबतक उसके फट जाने का गालिब गुमान न हो कब्र पर नमाज़ पढ़ने का फुक़्हा हुक्म देते हैं
📚फतावा अम्जदिया जिल्द 01 सफह नः 326
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