बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी ज़ुबाँ पर
ना'रा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर ! नारा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर !
प्यारे नबी ने जीना सिखाया
बा-ख़ुदा ! इंसां हम को बनाया
पहनाया अख़लाक़-ओ-ईमाँ का ज़ेवर
ना'रा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर !
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी ज़ुबाँ पर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी ज़ुबाँ पर
नारा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर ! नारा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर !
खुद भी जियो, जीने दो सभी को
खुद भी जियो, जीने दो सभी को
ईज़ा न पहुँचाओ ख़ुद से किसी को
इस्लाम का यही दर्स-ए-मुनव्वर
नारा-ए-तकबीर अल्लाहु अकबर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी जुबाँ पर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी जुबाँ पर
नारा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर ! नारा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर !
मीज़ॉ पे, आक़ा! हम को बचाना
मीज़ॉ पे, आक़ा! हम को बचाना
दामन में अपने हम को छुपाना
इतना करम, या शाफ़े'-ए-महशर
नारा-ए-तकबीर अल्लाहु अकबर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी जुबाँ पर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी जुबाँ पर
नारा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर ! ना'रा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर !
सच्चे सदा अक्वाल हमारे
सच्चे सदा अक्वाल हमारे
सीधे सदा आमाल हमारे
तब होगा रब मेहरबान हम पर
नारा-ए-तकबीर अल्लाहु अकबर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी जुबाँ पर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी जुबाँ पर
नारा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर! नारा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर !
राह-ए-ख़ुदा में घर को लुटाएँ
राह-ए-ख़ुदा में घर को लुटाएँ
दीन-ए-नबी पे सर को कटाएँ
'उक़्बा की दौलत लूटे हैं भर भर
नारा-ए-तकबीर अल्लाहु अकबर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी जुबाँ पर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी जुबाँ पर
नारा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर ! नारा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर !
सिद्दीक-ओ-फारूक-ओ-'उस्मान-ओ-हैदर
सिद्दीक-ओ-फारूक-ओ-'उस्मान-ओ-हैदर
असहाब-ओ-अज़्वाज-ओ-शब्बीर-ओ-शब्बर
इन सब का एहसाँ है हम सब के ऊपर
नारा-ए-तकबीर अल्लाहु अकबर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी जुबाँ पर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी जुबाँ पर
नारा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर ! ना'रा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर !
बग़दादी मयख़ाना चलता रहेगा
बग़दादी मयख़ाना चलता रहेगा
अजमेरी प्याला छलकता रहेगा
नूरी मियाँ देंगे बरकाती सागर
नारा-ए-तकबीर अल्लाहु अकबर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी ज़ुबाँ पर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी ज़ुबाँ पर
ना'रा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर ! ना'रा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर !
नज़्मी को आक़ा से फ़ैज़ मिला है.
नज़्मी को आक़ा से फ़ैज़ मिला है.
और हसनैनी जाम इस ने पिया है
नज़्मी गुलाम-ए-गुलामान-ए-हैदर
नारा-ए-तकबीर अल्लाहु अकबर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी ज़ुबाँ पर
बातिल ने जब जब बदले हैं तेवर आया है तब तब मेरी ज़ुबाँ पर
नारा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर ! ना'रा-ए-तकबीर! अल्लाहु अकबर !
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