वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी - Hindi Naat Lyrics
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
वहाँ की फ़क़ीरी है रश्क-ए-अमीरी
वहाँ पर बसर हो मेरी ज़िंदगानी
ए अल्लाह ! मेरे मुक़द्दर में लिख दे
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
वहाँ चार-सू रहमतों के उजाले
वहाँ जा के आते हैं तक़दीर वाले
वहाँ का सवेरा, करम की ज़मानत
वहाँ एक पल में बदलती है क़िस्मत
वहाँ हर तरफ़ जन्नतों के मनाज़िर
वहाँ की हर इक शब सुहानी सुहानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
वहाँ आज तक हैं फ़रिश्तों के फेरे
जहाँ चलते फिरते थे सरकार मेरे
जहाँ हम को क़ुरआँ का तोहफ़ा मिला है
जहाँ बाब-ए-रहमत हमेशा खुला है
वहीं मेरी क़िस्मत का चमकेगा तारा
वहीं पर मिटेगी मेरी ना-तवानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
वो गलियाँ, वो महबूब-ए-दावर की गलियाँ
वो गलियाँ, वो साक़ी-ए-कौसर की गलियाँ
वो गलियाँ, जहाँ नूर ही नूर हर-सू
अभी तक है जिन में मुहम्मद की ख़ुश्बू
अभी तक करम की घटाओं के मंज़र
अभी तक वोही रुत है सदियों पुरानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
जो ज़ालिम थे, हर ज़ुल्म उन से छुड़ाया
कि आदम के बेटों को जीना सिखाया
वो मोहताज, जिन के नहीं थे ठिकाने
गले से लगाया मेरे मुस्तफ़ा ने
जहाँ पर ग़रीबों को 'इज़्ज़त मिली है
यतीमों ने पाई वहाँ शादमानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
वहीं से मिली हम को ईमाँ की दौलत
वहीं से दो-'आलम पे बरसी है रहमत
वो ऐसा नगर जिस पे जन्नत निछावर
उसी सर-ज़मीं पर है अल्लाह का घर
वो ऐसी ज़मीं, आसमाँ जिस को चूमे
जहाँ सो रहा है दो-'आलम का बानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
ख़ुदा-वंदा ! मुझ पर ये एहसान कर दे
कभी मुझ को का'बे का मेहमान कर दे
दर-ए-मुस्तफ़ा पर मैं पलकें बिछाऊँ
कभी भी वहाँ से मैं वापस न आऊँ
इसी धुन में, इक़बाल ! आया बुढ़ापा
इसी आरज़ू में कटी है जवानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
वो तयबा की गलियाँ, वो ज़मज़म का पानी
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
या अल्लाह ! अल्लाह अल्लाह ! या अल्लाह !
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