मुझे आपने बुलाया ये करम
नहीं तो क्या है
मेरा भरतबा बढ़ाया ये करम नहीं तो क्या है
मैं ग़मों की धूप में जब तेरा नाम लेके निकला
मिला रहमतों का साया ये करम नहीं तो क्या है
मुझे जब भी ग़म ने घेरा मेरा साथ सबने छोड़ा
तू मेरी मदद को आया ये करम नहीं तो क्या है
मैं भटक के रह गया था कहीं और बह गया था
मुझे रास्ता दिखाया ये करम नहीं तो क्या है
ये शरफ बड़ा शरफ है तेरा रूख मेरी तरफ है
मुझे नात ख़्वाँ बनाया ये करम नहीं तो क्या है
मुझे हौस्ले वह बख़्शे तेरे कुर्ब के यकीं ने
मैं ग़मों में मुस्कुराया ये करम नहीं तो क्या है
दरे
मुस्तफा से अन्जुम मैं खुद आ गया मेरा दिल
कभी लौट कर न आया ये करम नहीं तो क्या है
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