हाजियो
! आओ शहन्शाह का रौजा देखो
काबा तो देख चुके काबा का काबा देखो
रुकने शामी से मिटी वह्शते शामे गुरबत
अब मदीने को चलो सुब्हे दिल आरा देखो
आबे ज़मज़म तो पिया खूब बुझाई प्यासे
आओ जूदे शहे कौसर का भी दरिया देखो
जेरे मीजाब मिले खूब करम के छींटे
अबे रहमत का यहां ज़ोर बरसना देखो
खूब आंखों से लगाया है गिलाफे कअबा
क़सरे महबूब के परदे का भी जलवा देखो
जीनते काबा में था लाख उरूसों का बनाव
जलवा फ़रमा यहां कौनैन का दुल्हा देखो
धो चुका जुलमते दिल बोसए संगे अस्वद
खाक बोसिये मदीना का भी रुतबा देखो
जुमए मक्का था ईद अहले इबादत के लिये
मुजरिमो! आओ यहां ईदे दो शम्बा देखो
रक्से बिस्मिल की बहारें तो मिना मैं देखी
दिले खूँ नाबा फ़िश का भी तड़पना देखो
ग़ौर से सुन तो रज़ा काबा से आती है सदा
मेरी आंखों से मेरे प्यारे का रौज़ा देखो
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