तू
शम्ऐ रिसालत है आलम तेरा परवाना
तू माहे नुबुव्वत है ऐ जलवए जानाना
जो साक़िये कौसर के चेहरे से निकाय उठे
हर दिल बने मैखाना हर आँख हो पैमाना
दिल अपना चमक उठे ईमान की तलअत से
हों आँखें भी नूरानी ऐ जलवए जानाना
सरशार मुझे करदे एक जामे लंबालब से
ता हश्र रहे साक़ी आबाद ये मैं खाना
हर फूल में बू तेरी हर शमअ में जो तेरी
बुलबुल है तेरा बुलबुल परवाना है परवाना
संगे दरे जानौं पर करता हूं जबीं साई
सज्दा नसमझ नज्दी सर देता हूं नज़राना
गिर पड़के यहाँ पहुंचा मर मर के इसे पाया
छूटे न इलाही अब संगे दरे जानाना
संगे दरे जानौं है ठोकर न लगे इसको
ले होश पकड़ अब तू ऐलगाज़िशे मस्ताना
आबाद इसे फ़रमा वीरौं है दिले नूरी
जलवे तेरे बस जाएं आबाद हो वीराना
0 Comments