गुज़रे जिस राह से वोह सय्यिदे वाला हो कर - hindi naat lyrics
गुज़रे जिस राह से वोह सय्यिदे वाला हो कर
रह गई सारी ज़मीं अम्बरे सारा हो कर
रुखे अन्वर की तजल्ली जो क़मर ने देखी
रह गया बोसा दहे नक्शे कफ़े पा हो कर
वाए महरूमिये क़िस्मत कि मैं फिर अब की बरस
रह गया हम-रहे जव्वारे मदीना हो कर
च - मने तयबा है वोह बाग़ कि मुर्गे सिदरा
बरसों चहके है जहां बुलबुले शैदा हो कर
सर-सरे दश्ते मदीना का मगर आया ख्याल
रश्के गुलशन जो बना गुन्चए दिल वा हो कर
गोशे शह कहते हैं फ़रियाद रसी को हम हैं
वा 'दए चश्म है बख़्शाएंगे गोया हो कर
पाए शह पर गिरे या रब तपिशे मेहर से जब
दिले बेताब उड़े हश्र में पारा हो कर
है येह उम्मीद रज़ा को तेरी रहमत से शहा
न हो ज़िन्दानिये दोज़ख़ तेरा बन्दा हो कर
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