फिर उठा वल्वलए यादे मुग़ीलाने अरब - Hindi Naat Lyrics

फिर उठा वल्वलए यादे मुग़ीलाने अरब हिंदी लिरिक्स

फिर उठा वल्वलए यादे मुग़ीलाने अरब हिंदी लिरिक्स




फिर उठा वल्वलए यादे मुग़ीलाने अरब
फिर खिंचा दामने दिल सूए बयाबाने अरब

बागे फ़िरदौस को जाते हैं हज़ाराने अरब
हाए सहराए अरब हाए बयाबाने अरब

मीठी बातें तेरी दीने अजम ईमाने अरब
न-मकीं हुस्न तेरा जाने अजम शाने अरब

अब तो है गिर्यए खूं गौहरे दामाने अरब
जिस में दो ला'ल थे ज़हरा के वोह थी काने अरब

दिल वोही दिल है जो आंखों से हो हैराने अरब 

आंखें वोह आंखें हैं जो दिल से हों कुरबाने अरब

हाए किस वक्त लगी फांस अलम की दिल में
कि बहुत दूर रहे खारे मुगीलाने अरब

फ़स्ले गुल लाख न हो वस्ल की रख आस हज़ार 
फूलते फलते हैं बे फ़स्ल गुलिस्ताने अरब

सदके होने को चले आते हैं लाखों गुलज़ार
कुछ अजब रंग से फूला है गुलिस्ताने अरब

अन्दलीबी पे झगड़ते हैं कटे मरते हैं
गुलो बुलबुल को लड़ाता है गुलिस्ताने अरब

सदक़े रहमत के कहां फूल कहां ख़ार का काम खुद है 
दामन कशे बुलबुल गुले खन्दाने अरब

शादिये हश्र है सदके में छुटेंगे कैदी
अर्श पर धूम से है दा' वते मेहमाने अरब

चरचे होते हैं येह कुम्हलाए हुए फूलों में
क्यूं येह दिन देखते पाते जो बयाबाने अरब

तेरे बे दाम के बन्दे हैं रईसाने अजम
तेरे बे दाम के बन्दी हैं हज़ाराने अरब

हश्त खुल्द आएं वहां कस्बे लताफ़त को रज़ा
चार दिन बरसे जहां अबे बहाराने अरब


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