Mujh ko ramzan ka mahina acha lgta - Hindi Lyrics - Hafiz tahir qadri

Mujh kop ramzan  ka mahin Acha lgta 



आया अल्लाह का मेहमान
आया है माहे रमजान
लेकर हाथों मे कुरआन
आया है माहे रमजान

रेहमते रमजान …. रेहमते रमजान (x2)
रेहमते रमजान …. रेहमते रमजान (x2)

मुजको रमजान का महीना अच्छा लगता है (x2)
मुजको रमजान का महीना अच्छा लगता है (x2)

सेहरी ओ इफ्तार करना अच्छा लगता है
मुजको रमजान का महीना अच्छा लगता है (x2)

रमजान के रोजे रखूँगा
मैं सारी नमाज़े पढ़ूंगा
क़ुरान की तिलावत करुंगा
और दीन की बातें सिखुंगा
रहमान राजी होगा रहमान राजी होगा (x2)

देख फलक पे चाँद चमका माहे रमजान आया
नीखरा नीखरा हर एक चेहरा माहे रमजान आया
पुरे महीने रोज़े रखना अच्छा लगता है

मुजको रमजान का महीना अच्छा लगता है (x2)

बच्चो रोजा रखना है कुर्ब खुदा का पाना है
राज़ी होता है रहमान आया है माहे रमज़ान

रमजान मे मोमिन के मुकद्दर रोशन लगते है
मस्जिद के मेहराबो मिम्बर रोशन लगते है
मस्जिद मैं लोगों का बढना अच्छा लगता है

मुजको रमजान का महीना अच्छा लगता है (x2)

रमजान के रोजे रखूँगा
मैं सारी नमाज़े पढ़ूंगा
क़ुरान की तिलावत करुंगा
और दीन की बातें सिखुंगा

रब की रहमत घर घर उतरी आया है मेहमान
मज़े मज़े की खूशबू फेली सजे है दस्तरखान
इफ्तारी मैं मिलकर खाना अच्छा लगता है

मुजको रमजान का महीना अच्छा लगता है (x2)

गुम्बदे खजरा के साये मे हम सब बैठे हो
दस्तरखान सजा हो लब पर उन्की नातें हो
तयबाह मैं इफ्तारी करना अच्छा लगता है 

मुजको रमजान का महीना अच्छा लगता है (x2)

मुझे नेक बन्ना है … मुझे नेक बन्ना है (x2)

नफ़रतों को छोड के टूटे दिलों को जोड के
माहे रमजान की बरकत से एक बन्ना है

मुझे नेक बन्ना है … मुझे नेक बन्ना है (x2)

रिशवत लेना और देना सूद पे बिजनेस क्यूं करना
माहे रमजान की बरकत से बचते रेहना है

मुझे नेक बन्ना है … मुझे नेक बन्ना है (x2)

गिबत और चुगलखोरी नेकी से है गद्दारी
माहे रमज़ान की बरकत से हक़ ही केहना है

मुझे नेक बन्ना है … मुझे नेक बन्ना है (x2)

असरा ऐ रहमत असरा ऐ बख्शीश नार से आजादी
मांग “उजागर” अपनी बख्शीश बन जा फरीयादी
रब से दुआयें करते रेहना अच्छा लगता है

मुजको रमजान का महीना अच्छा लगता है (x2)

रेहमते रमजान…


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