पाते हैं सुकूँ दिल का इंसान मदीने में
आते हैं गदा बन कर सुलतान मदीने में
आते हैं गदा बन कर सुलतान मदीने में
पाते हैं सुकूँ दिल का इंसान मदीने में
सरकार के क़दमों में मिट जाते हैं दुख सारे
हो जाती है हर मुश्किल आसान मदीने में
पाते हैं सुकूँ दिल का इंसान मदीने में
भर जाते हैं रहमत से कश्कोल फ़क़ीरों के
हो जाते हैं सब पूरे अरमान मदीने में
पाते हैं सुकूँ दिल का इंसान मदीने में
मुझ को है यक़ीं इक दिन 'उम्रे पे मैं जाऊँगा
गुज़रेगा मेरा माह-ए-रमज़ान मदीने में
पाते हैं सुकूँ दिल का इंसान मदीने में
दरबार सख़ी का है, जो माँगना है माँगो
करते हैं फ़रिश्ते ये ए'लान मदीने में
पाते हैं सुकूँ दिल का इंसान मदीने में
देखोगे उजाले तुम रातों को भी दिन जैसे
हो जाओगे तुम जा कर हैरान मदीने में
पाते हैं सुकूँ दिल का इंसान मदीने में
वापस न कभी आऊँ सरकार की बस्ती से
फ़ारूक़ी ! निकल जाए मेरी जान मदीने में
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