बस्ती वो बताऊँ कैसी है, जिसे लोग मदीना कहते हैं हिंदी लिरिक्स | Basti Wo Bataaun Kaisi Hai, Jise Log Madina Kehte Hain Lyrics

बस्ती वो बताऊँ कैसी है, जिसे लोग मदीना कहते हैं
इक रहमत-ओ-नूर की धरती है, जिसे लोग मदीना कहते हैं

बस्ती वो बताऊँ कैसी है, जिसे लोग मदीना कहते हैं

जाते हैं सवाली की सूरत, आते हैं ग़ज़ाली की सूरत
ख़ैरात वहाँ ये बटती है, जिसे लोग मदीना कहते हैं

बस्ती वो बताऊँ कैसी है, जिसे लोग मदीना कहते हैं

दुनिया-ओ-दीं का भला माँगो या इस से भी बढ़ के दु'आ माँगो
मक़बूल वहाँ हर अर्ज़ी है, जिसे लोग मदीना कहते हैं

बस्ती वो बताऊँ कैसी है, जिसे लोग मदीना कहते हैं

अपने तो हैं अपने ग़ैरों को और दुनिया भर के मरीज़ों को
इक्सीर वहाँ की मिट्टी है, जिसे लोग मदीना कहते हैं

बस्ती वो बताऊँ कैसी है, जिसे लोग मदीना कहते हैं

क्यूँ-कर न मु'अत्तर हो आख़िर, ए बाद-ए-सबा ! तेरा दामन
बू तू भी वहीं से लाती है, जिसे लोग मदीना कहते हैं

बस्ती वो बताऊँ कैसी है, जिसे लोग मदीना कहते हैं

आँखों में चमक आ जाती है, दिल की धड़कन बढ़ जाती है
क्या मर्कज़-ए-कैफ़-ओ-मस्ती है, जिसे लोग मदीना कहते हैं

बस्ती वो बताऊँ कैसी है, जिसे लोग मदीना कहते हैं

पूछा जो गया, मजबूरों की दिल-जूई का मर्कज़ भी है कोई ?
अर्फ़क़ ने पुकारा, हाँ जी है, जिसे लोग मदीना कहते हैं 



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