बेहतरी जिस पे करे फ़ख़्र वो बेहतर सिद्दीक़ हिंदी लिरिक्स | Behtari Jis Pe Kare Fakhr Wo Behtar Siddiq Lyrics

बेहतरी जिस पे करे फ़ख़्र वो बेहतर सिद्दीक़
सरवरी जिस पे करे नाज़ वो सरवर सिद्दीक़

चमनिस्तान-ए-नुबुव्वत की बहार-ए-अव्वल
गुलशन-ए-दीं के बने पहले गुल-ए-तर सिद्दीक़

बे-गुमाँ शम्'-ए-नुबुव्वत के हैं आईने चार
या'नी 'उस्मान-ओ-'उमर, हैदर-ओ-अकबर-सिद्दीक़

सारे असहाब-ए-नबी तारे हैं उम्मत के लिए
इन सितारों में बने मेहर-ए-मुनव्वर सिद्दीक़

बाल बच्चों के लिए घर में ख़ुदा को छोड़ें
मुस्तफ़ा पर करें घर-बार निछावर सिद्दीक़

एक घर-बार तो क्या ग़ार में जाँ भी दे दें
सॉंप डसता रहे लेकिन न हों मुज़्तर सिद्दीक़

इस इमामत से खुला, तुम हो इमाम-ए-अकबर
थी यही रम्ज़-ए-नबी, कहते हैं हैदर, सिद्दीक़ !

तू है आज़ाद सक़र से, तेरे बंदे आज़ाद
है ये सालिक भी तेरा बंदा-ए-बे-ज़र, सिद्दीक़ !

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