नबी का मोहसिन, ख़लीफ़ा अव्वल, सदाक़तों का 'अज़ीम पैकर हिंदी लिरिक्स | Nabi Ka Mohsin, Khalifa Awwal Lyrics

नबी का मोहसिन, ख़लीफ़ा अव्वल, सदाक़तों का 'अज़ीम पैकर
हमें अबू-बक्र जाँ से प्यारा, है क़ल्ब-ए-उम्मत सिद्दीक़-ए-अकबर

नबी हो दामाद जिस बशर का, बशर वो कितना अज़ीम-तर है
तमाम असहाब का वो सालार, रहबर-ओ-ज़ात-ए-मो'तबर है
मिला के शाना चला नबी से, कठिन मराहिल में बे-ख़तर है
सफ़-ए-'अदू पे गिरा हमेशा वो बर्क़-ए-ईमाँ कड़कती बन कर

नबी का मोहसिन, ख़लीफ़ा अव्वल, सदाक़तों का 'अज़ीम पैकर
हमें अबू-बक्र जाँ से प्यारा, है क़ल्ब-ए-उम्मत सिद्दीक़-ए-अकबर

वो राज़ी रब से, रब उस से राज़ी, वो पाक, बे-दाग़, गुल-बदन था
था जन्नती शख़्स क़ौल-ए-आक़ा, वो नूर-ए-ईमाँ की अंजुमन था
वो हल्क़ा-ए-दोस्ताँ में ख़ुश्बू, वो रज़्म-ए-बातिल में सफ़-शिकन था
वो आज भी मोमिनों की धड़कन, मुनाफ़िक़ों के लिए है ख़ंजर

नबी का मोहसिन, ख़लीफ़ा अव्वल, सदाक़तों का 'अज़ीम पैकर
हमें अबू-बक्र जाँ से प्यारा, है क़ल्ब-ए-उम्मत सिद्दीक़-ए-अकबर

था हम-सफ़र, यार-ए-ग़ार-ए-सरवर, वफ़ा की इक जावेदाँ निशानी
दयार-ए-मक्का में संग आक़ा के सह गया ज़ुल्म-ओ-बद-ज़ुबानी
था बा'द अज़ अम्बिया वो अफ़ज़ल, की दीन की जिस ने तर्जुमानी
वली नबी का, 'उमर का साथी, ग़नी की धड़कन, वो जान-ए-हैदर

नबी का मोहसिन, ख़लीफ़ा अव्वल, सदाक़तों का 'अज़ीम पैकर
हमें अबू-बक्र जाँ से प्यारा, है क़ल्ब-ए-उम्मत सिद्दीक़-ए-अकबर

'अजब सख़ावत ! नबी के ए'लान पे मोहब्बत से घर लुटाया
ज़कात-ओ-ख़ैरात रोकने वाले फ़ित्ना-बाज़ों का सर उड़ाया
कभी नुबुव्वत के दा'वेदारों का जड़ से नाम-ओ-निशाँ मिटाया
क्या शान ! रब ने सुला दिया उन को रौज़ा-ए-मुस्तफ़ा के अंदर

नबी का मोहसिन, ख़लीफ़ा अव्वल, सदाक़तों का 'अज़ीम पैकर
हमें अबू-बक्र जाँ से प्यारा, है क़ल्ब-ए-उम्मत सिद्दीक़-ए-अकबर

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