हैदर-ए-कर्रार, हैदर-ए-कर्रार
हैं चार यारों में इक यार, हैदर-ए-कर्रार
हुए ख़लीफ़ा-ए-सरकार, हैदर-ए-कर्रार
तुम्हारे नाम को सुन कर के आज तक, मौला !
लरज़ रहे हैं ये कुफ़्फ़ार, हैदर-ए-कर्रार
मिली है माह-ए-रजब की ये तेरहवीं तुम से
ये अहल-ए-हक़ का है तेहवार, हैदर-ए-कर्रार !
नबी की नींद पे कर दी नमाज़-ए-अस्र फ़िदा
नबी से था यूँ तेरा प्यार, हैदर-ए-कर्रार !
जो अहल-ए-बैत-ओ-सहाबा पे जान देते हैं
वही हैं तेरे वफ़ादार, हैदर-ए-कर्रार !
थे सोए मौत के बिस्तर पे जो शब-ए-हिजरत
वही हैं साहिब-ए-ईसार, हैदर-ए-कर्रार
'अदू-ए-दीन से क्यूँ-कर डरूँ कि जब मेरे
हैं हर क़दम पे मददगार, हैदर-ए-कर्रार
घटाए कैसे कोई आप की फ़ज़ीलत को
हैं आप हक़ के 'अलम-दार, हैदर-ए-कर्रार !
शह-ए-दना के वसीले से अपनी चौख़ट पर
बुलाइए मुझे इक बार, हैदर-ए-कर्रार !
इन्हें मिला असदुल्लाह का लक़ब, तफ़्सीर !
हैं बादशाहों के सालार, हैदर-ए-कर्रार
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