Tamanna hai, mere mola hindi naat lyrics - Hafiz Tahir Qadri
तमन्ना है, मेरे मौला ! दयार-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
मैं का'बे का हसीं मंज़र कभी तो, या ख़ुदा ! देखूँ
सुनूँ लब्बैक के नग़्मे हरम की पाक वादी में
दर-ए-ख़ैर-उल-वरा पर 'आशिक़ों का झूमना देखूँ
तमन्ना है, मेरे मौला ! दयार-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
मैं का'बे का हसीं मंज़र कभी तो, या ख़ुदा ! देखूँ
मज़ार-ए-हज़रत-ए-हम्ज़ा को भी देखें मेरी आँखें
दयार-ए-'आइशा देखूँ, मज़ार-ए-फ़ातिमा देखूँ
तमन्ना है, मेरे मौला ! दयार-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
मैं का'बे का हसीं मंज़र कभी तो, या ख़ुदा ! देखूँ
तेरे महबूब जिस गुंबद के नीचे जल्वा-फ़रमा हैं
है जिस पर 'अर्श भी नाज़ाँ, मैं वो गुंबद हरा देखूँ
तमन्ना है, मेरे मौला ! दयार-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
मैं का'बे का हसीं मंज़र कभी तो, या ख़ुदा ! देखूँ
बसर हो, या ख़ुदा ! कुछ इस तरह से ज़िंदगी मेरी
सहर में का'बा देखूँ, शाम में गुंबद हरा देखूँ
तमन्ना है, मेरे मौला ! दयार-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
मैं का'बे का हसीं मंज़र कभी तो, या ख़ुदा ! देखूँ
जहाँ आराम-फ़रमा हैं सहाबा मेरे आक़ा के
तमन्ना है, मेरे मौला ! वो मंज़र बद्र का देखूँ
तमन्ना है, मेरे मौला ! दयार-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
मैं का'बे का हसीं मंज़र कभी तो, या ख़ुदा ! देखूँ
मैं चूमूँ गुंबद-ए-ख़ज़रा की जिस दम झालियाँ, 'आसिम !
ख़ुदा से है दु'आ उस दम जमाल-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
तमन्ना है, मेरे मौला ! दयार-ए-मुस्तफ़ा देखूँ
मैं का'बे का हसीं मंज़र कभी तो, या ख़ुदा ! देखूँ
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