15 ऐसे अकीदें जिन्हें हमें अल्लाह तबारक व ताला के लिए रखना चाहिए

खुशामदीद दोस्तों आज के इस लेख में हम आप लोगों को बताएंगे कि अल्लाह कौन हैं? और अल्लाह की सिफात क्या है? और हमें उसके बारे में किस प्रकार के अकीदत रखनी चाहिए?

तो फिर चलिए, हम बगैर किसी देरी के हमारा यह लेख शुरू करते हैं और आप लोगों से यह एक दरखास्त है कि अगर आप लोगों को ये आर्टिकल पसंद आए तो प्लीज इसे लाइक शेयर और हमें फॉलो करें ताकि हम इसी तरीके के इस्लामी बातें आप तक पहुंचा सके ।


अल्लाह तआला की सिफात को सिफाते जाती या सिफाते कमालिया कहते हैं
सिफाते इलाही को जो मखलूक कहे या हादिस बताए गुमराह बद दीन है।

और वह यह हैं:

1.अल्लाह तआला एक है कोई उसका शरीक नहीं न जात में और न ही सिफात में न अफआल में न अहकाम में न असमा में।

2.वही उसका मुसतहिक है कि उसकी इबादत और परसतिश की जाए, वह बे परवाह है (किसी का मोहताज नहीं और तमाम जहां उसका मोहताज )

3.वह जो चाहे जैसा चाहे करे, किसी को उस पर काबू नहीं

4.उसको न ऊँघ आए न नींद

5.तमाम जहां का निगाह रखने वाला न थके और न उकताए

6.तमाम आलम का पालने वाला

7.मां बाप से ज़्यादा मेहरबान

8.उसी की रहमत टूटे हुए दिलों का सहारा

9.उसी के लिए बड़ाई और अजुमत है।

10.अल्लाह तआला की जात व सिफात के अलावा सब चीजें हादिस हैं यानी पहले न थीं फिर मौजूद हुईं (शरह अकाइद नसफी)

11.कन वह किसी का बाप है और न बेटा न उसके लिए बीवी, जो उसे बाप या बेटा बताए या उसके लिए बीवी साबित करे काफिर है बल्कि जो मुमकिन भी कहे गुमराह बद दीन है।

12.वह हय्य है यानी खुद जिन्दा है और सबकी ज़िन्दगी उसके हाथ में है जिसे जब चाहे जिन्दा करे और जब चाहे मौत दे।

13.वह कादिरे मुतलक है: कायनात के पैदा करने और कायम रखने फिर फना करने और फिर मौजूद करने वाला

14.वह हर मुमकिन पर कादिर है कोई मुमकिन उसकी कुदरत से बाहर नहीं कोई चीज़ छोटी हो या बड़ी उसके

15.इल्म से बाहर और उससे पोशीदा नहीं और वह उसको मौजूद होने से पहले और मिट जाने के बाद भी जानता है, वह हर बात को खूब अच्छी तरह जानता है।






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