अजब रंग पर है बहार-ए-मदीना Lyrics 2022
अजब रंग पर है बहार-ए-मदीना
कि सब जन्नतें हैं निसार-ए-मदीना
मुबारक रहे, 'अंदलीबो ! तुम्हें गुल
हमें गुल से बेहतर हैं ख़ार-ए-मदीना
बना शह-नशीं ख़ुसरव-ए-दो-जहाँ का
बयाँ क्या हो 'इज़्ज़-ओ-वक़ार-ए-मदीना
मेरी ख़ाक, या रब ! न बर्बाद जाए
पस-ए-मर्ग कर दे ग़ुबार-ए-मदीना
कभी तो म'आसी के ख़िरमन में, या रब !
लगे आतिश-ए-लाला-ज़ार-ए-मदीना
रग-ए-गुल की जब नाज़ुकी देखता हूँ
मुझे याद आते हैं ख़ार-ए-मदीना
मलाइक लगाते हैं आँखों में अपनी
शब-ओ-रोज़ ख़ाक-ए-मज़ार-ए-मदीना
जिधर देखिए बाग़-ए-जन्नत खुला है
नज़र में हैं नक़्श-ओ-निगार-ए-मदीना
रहें उन के जल्वे, बसें उन के जल्वे
मेरा दिल बने यादगार-ए-मदीना
हरम है उसे साहत-ए-हर-दो-'आलम
जो दिल हो चुका है शिकार-ए-मदीना
दो-'आलम में बटता है सदक़ा यहाँ का
हमीं इक नहीं रेज़ा-ख़्वार-ए-मदीना
बना आसमाँ मंज़िल-ए-इब्न-ए-मरियम
गए ला-मकाँ ताजदार-ए-मदीना
मुराद-ए-दिल-ए-बुलबुल-ए-बे-नवा दे
ख़ुदाया ! दिखा दे बहार-ए-मदीना
शरफ़ जिन से हासिल हुआ अंबिया को
वही हैं, हसन ! इफ़्तिख़ार-ए-मदीना
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