मेरी बात बन गई है
तेरी बात करते करते
तेरी शहर में मैं आओतेरी नात पढ़ते पढ़ते
तेरी इश्क की बदोलत
मुझे जिंदगी मिली है
मुझे मौत अए आका
तेरा जिक्र करते करते
किसी चीज की तालाब है
ना है आरज़ू भी कोई
तू ने इतना भर दिया है
कश्कोल भरते भरते
है जो ज़िंदगानी बाकी
ये इरदा कर लिया है
तेरी मुंकिरों से आका
मैं मरूंगा लड़ते लड़ते
मेरे सुने सुने घर मे
कभी रोनाकै अता हो
में दीवाना हो गया हुॅ
तेरी राह तकते तकते
मैं न जाऊंगा ओ दरबा
कभी छोड़ कर ये गलियां
क्य मैं पंहुचा हुं यहाँ पर
मेरी यार मरते मरते
नासिर की हज़ारी हो
कभी अस्तन पे तेरी
के जमाना हो गया है
मुझे आह भरते भरते
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