तूबा में जो सब से ऊंची नाजुक सीधी निकली शाख - Hindi Naat Lyrics

 तूबा में जो सब से ऊंची नाजुक सीधी निकली शाख - Hindi Naat Lyrics

तूबा में जो सब से ऊंची नाजुक सीधी निकली शाख - Hindi Naat Lyrics


तूबा में जो सब से ऊंची नाजुक सीधी निकली शाख 
मांगूं ना'ते नबी लिखने को रूहे कुदुस से ऐसी शाख़ से

मौला गुलबुन, रहमत ज़रा, सिब्तैन उस की कलियां फूल 
सिद्दीको फ़ारूको उस्मां, हैदर हर इक उस की शाख

शाखे कामते शह में जुल्फो चश्मो रुख़सारो लब हैं 
सुम्बुल, नरगिस, गुल, पंखड़ियां कुदरत की क्या फूली शाख

अपने इन बाग़ों का सदका वोह रहमत का पानी दे 
जिस से नख़्ले दिल में हो पैदा प्यारे तेरी विला की शाख

यादे रुख में आहें कर के बन में मैं रोया आई बहार 
झूम नसीमें, नैसां बरसा, कलियां चटर्की, महकी शाख

जाहिरो बातिन अव्वलो आखिर जैबे फुरूओ जैने उसूल
बागे रिसालत में है तू ही गुल, गुन्चा, जड़, पत्ती शाख आले 

अहमद खुज़ बि- यदी या सय्यद हम्ज़ा कुन मददी 
वक्ते खजाने उम्रे रजा हो बर्गे हुदा से न आरी शाख

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