तेरे घर के फेरे लगाता रहूं मैं hindi naat lyrics | Tere Ghar ke phere hindi naat lyrics

 


 तेरे घर के फेरे लगाता रहूं मैं hindi naat lyrics

या रब्बना इरह़म लना, या रब्बना इरह़म लना

तेरे घर के फेरे लगाता रहूं मैं
सदा शेहरे मक्का में आता रहूं मैं

या रब्बना इरह़म लना, या रब्बना इरह़म लना

हरम में मैं हाज़िर हुवा बन के मुजरिम
ये लब्बैक नारा लगाता रहूं मैं

सदा शेहरे मक्का में आता रहूं मैं

या रब्बना इरह़म लना, या रब्बना इरह़म लना

मैं लेता रहूं बोसा-ए-संगे-अस्वद
यूँ दिल की सियाही मिटाता रहूं मैं

सदा शेहरे मक्का में आता रहूं मैं

या रब्बना इरह़म लना, या रब्बना इरह़म लना

इलाही मैं फिरता रहूं गिर्दे-काबा
यूं क़िस्मत की ग़र्दिश मिटाता रहूं मैं

सदा शेहरे मक्का में आता रहूं मैं

या रब्बना इरह़म लना, या रब्बना इरह़म लना

लिपट कर गले लग के मैं मुल्तज़म से
गुनाहों के धब्बे मिटाता रहूं मैं

सदा शेहरे मक्का में आता रहूं मैं

या रब्बना इरह़म लना, या रब्बना इरह़म लना

मैं पीता रहूं हर गड़ी आबे-ज़मज़म
लगी अपने दिल की बुझाता रहूं मैं

सदा शेहरे मक्का में आता रहूं मैं

या रब्बना इरह़म लना, या रब्बना इरह़म लना

सफा और मरवा के मा-बैन दौड़ू
सई कर के तुझ को मनाता रहूं मैं

सदा शेहरे मक्का में आता रहूं मैं

या रब्बना इरह़म लना, या रब्बना इरह़म लना

झुकी जिन के सजदे को मेहराबे-काबा
वहीँ दिल अदब से झुकाता रहूं मैं

सदा शेहरे मक्का में आता रहूं मैं

या रब्बना इरह़म लना, या रब्बना इरह़म लना

बरस्ती है बाराने-रेहमत हरम मैं
तो मीज़ाबे-ज़र से नहाता रहूं मैं

सदा शेहरे मक्का में आता रहूं मैं

या रब्बना इरह़म लना, या रब्बना इरह़म लना

है सैयद की ख़्वाइश मदीने में मर कर
हमेशा की जन्नत को पाता रहूं मैं


By: Naat Lyrics World


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