सरवर कहूँ कि मालिक-ओ-मौला hindi lyrics | sarwar kahu ke hindi lyrics
सरवर कहूँ कि मालिक-ओ-मौला कहूँ तुझे
बाग़-ए-ख़लील का गुल-ए-ज़ेबा कहूँ तुझे
हिरमाँ-नसीब हूँ, तुझे उम्मीद-गह कहूँ
जान-ए-मुराद-ओ-कान-ए-तमन्ना कहूँ तुझे
गुलज़ार-ए-क़ुद्स का गुल-ए-रंगीं-अदा कहूँ
दरमान-ए-दर्द-ए-बुलबुल-ए-शैदा कहूँ तुझे
सुब्ह-ए-वतन पे शाम-ए-ग़रीबाँ को दूँ शरफ़
बेकस-नवाज़ गेसूओं वाला कहूँ तुझे
अल्लाह रे ! तेरे जिस्म-ए-मुनव्वर की ताबिशें
ए जान-ए-जाँ ! मैं जान-ए-तजल्ला कहूँ तुझे
बे-दाग़-लाला या क़मर-ए-बे-कलफ़ कहूँ
बे-ख़ार गुलबुन-ए-चमन-आरा कहूँ तुझे
मुजरिम हूँ, अपने 'अफ़्व का सामाँ करूँ, शहा !
या’नी शफ़ी'अ रोज़-ए-जज़ा का कहूँ तुझे
इस मुर्दा-दिल को मुज़्दा हयात-ए-अबद का दूँ
ताब-ओ-तवान-ए-जान-ए-मसीहा कहूँ तुझे
तेरे तो वस्फ़ 'ऐ़ब-ए-तनाही से हैं बरी
हैराँ हूँ, मेरे शाह ! मैं क्या क्या कहूँ तुझे !
कह लेगी सब कुछ उन के सना-ख़्वाँ की ख़ामोशी
चुप हो रहा है कह के, 'मैं क्या क्या कहूँ तुझे !'
लेकिन रज़ा ने ख़त्म सुख़न इस पे कर दिया
ख़ालिक़ का बंदा, ख़ल्क़ का आक़ा कहूँ तुझे
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