मेरे दर्द का फ़साना, सरकार जानते हैं
यहाँ सब तड़प रहे हैं, वो जानते हैं लेकिन
कब किस को है बुलाना, सरकार जानते हैं
ख़ामोश इस लिए थे, हैदर का था 'अक़ीदा
सूरज को मोड़ लाना, सरकार जानते हैं
चुप-चाप मैं मदीने ये सोच कर खड़ा था
माँगेगा क्या दीवाना, सरकार जानते हैं
जुर्मों पे भी हूँ नादिम, लेकिन मैं मुत्मइन हूँ
बद-कार को छुड़ाना, सरकार जानते हैं
शाकिर ! मलूल न हो, क्यूँ-कर क़बूल न हो
ये ख़याल-ए-'आजिज़ाना सरकार जानते हैं
ये ख़याल-ए-'आजिज़ाना सरकार जानते हैं
0 Comments