खेल किरकेट न शरारत के लिए आया है - Khel Cricket Na Shrarat Ke Liye Aya Hai Ramzan Hindi Lyrics
माह-ए-रमज़ान ! माह-ए-रमज़ान !
माह-ए-रमज़ान ! माह-ए-रमज़ान !
रमज़ान आ गया ! मह-ए-गुफ़रान आ गया !
रमज़ान आ गया ! मह-ए-गुफ़रान आ गया !
खेल किरकेट न शरारत के लिए आया है
माह-ए-रमज़ान 'इबादत के लिए आया है
ये शरी'अत की इता'अत के लिए आया है
माह-ए-रमज़ान 'इबादत के लिए आया है
खेल किरकेट न शरारत के लिए आया है
माह-ए-रमज़ान 'इबादत के लिए आया है
दूर इस मह में करो आप दिलों से नफ़रत
एक दूजे से सदा करते रहो तुम उल्फ़त
हाथ को हाथ में लो और गले मिलते रहो
दुश्मनों से भी, मेरे दोस्तो ! तुम हँस के मिलो
बुग़्ज़-ओ-कीना न 'अदावत के लिए आया है
खेल किरकेट न शरारत के लिए आया है
माह-ए-रमज़ान 'इबादत के लिए आया है
नफ़्ल का फ़र्ज़ की मिक़्दार में पाओगे सवाब
इस महीने का नहीं, मोमिनो ! कोई भी जवाब
वाह ! क्या बात है, फ़रमाते हैं ये प्यारे नबी
क़ैद हो जाते हैं इस माह में शैतान सभी
नफ़्स-ए-शैताँ की मज़म्मत के लिए आया है
खेल किरकेट न शरारत के लिए आया है
माह-ए-रमज़ान 'इबादत के लिए आया है
इस महीने के सभी रोज़े तुम्हें रखने हैं
और नमाज़ों की भी पाबंदी तुम्हें करनी है
हक़ ग़रीबों का अदा, मोमिनो ! करना है तुम्हें
पेट भूकों का, यतीमों का भी भरना है तुम्हें
सदक़ा ख़ैरात की कसरत के लिए आया है
खेल किरकेट न शरारत के लिए आया है
माह-ए-रमज़ान 'इबादत के लिए आया है
वक़्त-ए-सहरी में भी तुम खेल में लग जाते हो
फ़ज्र से पहले ही क्यूँ, दोस्तो ! सो जाते हो
सुब्ह से शाम तलक नेट चलाते तुम हो
वक़्त अपना क्यूँ गुनाहों में बिताते तुम हो
दोस्तो ! ये नहीं ग़फ़लत के लिए आया है
खेल किरकेट न शरारत के लिए आया है
माह-ए-रमज़ान 'इबादत के लिए आया है
मग़्फ़िरत होती है इस मह में गुनाहगारों की
शर्मसारों की, बद-कारों, सियह-कारों की
वो है महरूम जो इस मह में भी महरूम रहा
कीजिए तौबा गुनाहों से, है रहमान ख़ुदा
नार-ए-दोज़ख़ से हिफ़ाज़त के लिए आया है
खेल किरकेट न शरारत के लिए आया है
माह-ए-रमज़ान 'इबादत के लिए आया है
रहमतों, बरकतों वाला है महीना ये ही
पार बंदों का लगाता है सफ़ीना ये ही
इस की हर रात अनोखी है, निराला दिन है
भर गया ख़ुशियों से 'आसिम का भी अब दामन है
मोमिनों की ये मसर्रत के लिए आया है
खेल किरकेट न शरारत के लिए आया है
माह-ए-रमज़ान 'इबादत के लिए आया है
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