छोड़ फ़िक्र दुनिया की hindi naat lyrics

 छोड़ फ़िक्र दुनिया की hindi naat lyrics


छोड़ फ़िक्र दुनिया की, चल मदीने चलते हैं
मुस्तफ़ा ग़ुलामों की क़िस्मतें बदलते हैं

छोड़ फ़िक्र दुनिया की


रहमतों के बादल के साए साथ चलते हैं
मुस्तफ़ा के दीवानें घर से जब निकलते हैं

छोड़ फ़िक्र दुनिया की

हम को रोज़ मिलता है सदक़ा प्यारे आक़ा का
उन के दर के टुकड़ों पर ख़ुश-नसीब पलते है

छोड़ फ़िक्र दुनिया की

आमिना के प्यारे का, सब्ज़-गुंबद वाले का
जश्न हम मनाते हैं, जलने वाले जलते हैं

छोड़ फ़िक्र दुनिया की

सिर्फ़ सारी दुनिया में वो तयबा की गलियाँ हैं
जिस जगह पे हम जैसे खोटे सिक्के चलते हैं

छोड़ फ़िक्र दुनिया की

सच है ग़ैर का एहसाँ वो कभी नहीं लेते
ए 'अलीम ! आक़ा के जो टुकड़ों पे पलते हैं


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